My Documents
Become a Patron!
# Durga saptashati adhyay 12 in hindi pdf **
Rating: 4.7 / 5 (4699 votes)
Downloads: 31404
CLICK HERE TO DOWNLOAD
**
Download ChapterShri Durga Saptashati (Chandi) Path in Hindi (PDF) बलिदान, पूजा, होम तथा महोत्सवों में मेरा यह चरित्र उच्चारण करना तथा सुनना जो पुरुष इन स्त्रोत्रों द्वारा एकाग्रचित होकर मेरी स्तुति करेगा, उसके सम्पूर्ण कष्टों को निःसन्देह हर लूंगी। मधु–कैटभ के नाश, महिषासुर के वध और शुम्भ तथा निशुम्भ के वध की जो मनुष्य कथा कहेंगे, मेरे महात्म्य को अष्टमी चतुर्दर्शी व नवमी के दिन एकाग्रचित से भक्तिपूर्वक सुनेंगे, उनको कभी कोई पाप न रहेगा, पाप से उत्पन्न हुई विपत्ति भी उनको न सताएगी डाउनलोड लिंक: श्रीदुर्गा सप्तशती पुस्तक को सीधे एक क्लिक में मुफ्त डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें |. Download PDF (MB) बिभ्राणामनलात्मिकां शशिधरां दुर्गां त्रिनेत्रां भजे॥. ॐ विद्युद्दामसमप्रभां दुर्गा सप्तशती अध्यायका ध्यान. ॥ द्वादशोऽध्यायः॥. कन्याभिः करवालखेटविलसद्धस्ताभिरासेविताम्।. ध्यान. To download Shri-Durga Saptshati PDF book in just a single click for free, simply click on the download button provided below. ॥ध्यानम्॥. दुर्गा सप्तशती अध्यायके पहले ध्यान कैसे करें? ध्यान दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ. Download ChapterShri Durga Saptashati (Chandi) Path in Hindi (PDF) बलिदान, पूजा, होम तथा महोत्सवों में मेरा यह Shri Durga Saptashati PathCompleteChapters Hindi Arth Saahit,Durga Saptshati: श्री दुर्गा सप्तशती पाठ -संपूर्णअध्याय हिंदी अर्थ साहित दुर्गा सप्तशती अध्यायअर्थ सहित. अथ श्रीदुर्गासप्तशती. मैं तीन नेत्रोंवाली दुर्गादेवीका ध्यान श्रीदुर्गासप्तशती सचित्र (हिंदी अनुवाद तथा पाठ-विधि सहित) देवीमाहात्म्यम् (अर्थ: देवी का महात्म्य) हिन्दुओं का एक धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें देवी दुर्गा की महिषासुर नामक राक्षस के ऊपर विजय का वर्णन है। यह मार्कण्डेय पुराण का अंश है। इसमें ७०० श्लोक होने के कारण इसे 'दुर्गा सप्तशती' भी कहते हैं। दुर्गा सप्तशती अध्याय राक्षसों और दैत्यों का संहार कर देवी माँ कैसे जगत और देवताओं की रक्षा करती हैं. ॥ध्यानम्॥. हस्तैश्चक्रगदासिखेटविशिखांश्चापं गुणं तर्जनीं. जो पुरुष इन स्त्रोत्रों द्वारा एकाग्रचित होकर मेरी स्तुति करेगा, उसके सम्पूर्ण कष्टों को निःसन्देह हर लूंगी। मधु–कैटभ के नाश, दुर्गा सप्तशती संस्कृत पाठ. ॐ विद्युद्दामसमप्रभां मृगपतिस्कन्धस्थितां भीषणां.